अक्सर दिल्ली की धूप में 'दोपहर' के १० बजे घरसे निकलो, तो अपनी ही दशा को देखकर सबसे बड़े बच्चनजी की पंक्तियाँ याद आती हैं।
यह महान दृश्य है, चल रहा मनुष्य है,
अश्रु-स्वेद-रक्त से लथपथ लथपथ लथपथ।
अग्निपथ अग्निपथ अग्निपथ...
किंतु आज तापमान में गिरावट और धूल-वायू की लहरों के चलते, दिल्ली की सड़कों को अग्निपथ से 'धूलपथ' में परिवर्तित होते पाया गया है। फिरभी देखा जाए, तो इसे उष्मा से मुक्ती का एक तात्कालिक ही सही लेकिन सुखद अनुभव कहा जा सकता है।
यह महान दृश्य है, चल रहा मनुष्य है,
अश्रु-स्वेद-रक्त से लथपथ लथपथ लथपथ।
अग्निपथ अग्निपथ अग्निपथ...
किंतु आज तापमान में गिरावट और धूल-वायू की लहरों के चलते, दिल्ली की सड़कों को अग्निपथ से 'धूलपथ' में परिवर्तित होते पाया गया है। फिरभी देखा जाए, तो इसे उष्मा से मुक्ती का एक तात्कालिक ही सही लेकिन सुखद अनुभव कहा जा सकता है।
Comments
Post a Comment